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Tinni Ka Chaval - 250g Pkt

Tinni ka Chaval - 250g pkt
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Ideal for Vrat/फलाहार High Iron content.
Product Description

तिन्नी - एक प्रकार का जंगली धान है। आमतौर पर तिन्नी के चावल की खेती नहीं की जाती है। यह चावल बडे़-बडे़ तालों में खुद उगता है। इसकी पत्तियाँ जड़हन का सी ही होती हैं। पौधा तीन चार हाथ ऊँचा होता है। कातिक में इसकी बाल फूटती है जिसमें बहुत लंबे लंबे टूँड़ होते हैं। बाल के दाने तैयार होने पर गिरने लगते हैं, इससे इकट्ठा करनेवाले या तो हटके में दानों को झाड़ लेते हैं अथवा बहुत से पौधों के सिरों को एक में बाँध देते हैं। तिन्नी का धान लंबा और पतला होता है। चावल खाने में नीरस और रूखा लगता है और व्रत आदि में खाया जाता है।

तिन्नी के चावल में आयरन की मात्रा काफी ज्यादा होती है, जो शरीर में हेमोग्लोबिन की कमी को पूरा करता है। इन्हीं खूबियों के कारण इस चावल का प्रयोग दवा बनाने में किया जाता है। सनातन धर्म में खास महत्व रखने वाले इस चावल का उपयोग पूजा-पाठ और व्रत में लोग फलाहार के रूप में करते हैं। कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन भगवान की आराधना लोग इन्हीं फलाहार को ग्रहण करके करते हैं। इस दिन इनके इस उपज के दाम भी आसमान छूने लगते हैं।

डुमरियागंज (सिद्धार्थनगर) तहसील क्षेत्र का इनावर, लेवड़ ताल और मेंही तालाब तिन्नी के चावल के लिए देशभर में प्रसिद्ध है। यहां भारी मात्रा में तिन्नी के चावल की पैदावार होती है। एक हजार बीघों से अधिक क्षेत्रफल में फैले इस इस ताल में उगने वाले तिन्नी से इनावर और लेवड़ ताल के किनारे बसे भड़रिया, उजैनिया, मल्हवार, चिताही, सिकटा, फलफली, लोहरौला, लेवड़ी, सोहना, कटरिया बाबू गांवों के दर्जनों किसान लाभान्वित होते हैं।

बरसात के समय लोग अपने-अपने एरिया में प्रकृति द्वारा उगती फसल को बांध देते हैं इसके बाद तय शुदा वक्त में गांठ खोली जाती है। तत्पश्चात गांठ खोल उसकी पिटाई होती है फिर तिन्नी के धान को घर ले जाया जाता है और जब नवरात्र का समय आता है तब इसकी कुटाई कर चावल निकालते हैं और बाजार में उपलब्ध कराते हैं।

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